जीत दिलाने वाली हिंदी प्रेरक कविता।अभ्यास के ये दिन कहीं ना।
मत सोच कि किधर जाए।
अभ्यास के ये दिन कहीं ना
जो इसे समझ न पाता है।
अन्नदाता असाड़ चुके तो
कई मास पछताता है।
कर सचेत ले खुद को कि
तू भी गलती न कर जाए।
अभ्यास के ये दिन कहीं ना
सोचने में गुजर जाए।
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हिन्दी प्रेरणादायक कविता |
ये दिन अभी है लड़ने के
जी जान से मेहनत करने के
शिक्षा, दीक्षा और हुनर को
स्वयं के भीतर भरने के।
मजबूती से थाम ले इसको
लौट न खाली घर जाए।
अभ्यास के ये दिन कहीं ना
सोचने में गुजर जाए।
ये वक्त तुझे आजमायेगा
तू जी भर के आजमाने दे।
दिन जो अगर बदलने है तो
इसको व्यर्थ न जाने दे।
कर निश्चय कि हर मुश्किल
संकल्प से तेरे डर जाए।
तू जी भर के आजमाने दे।
दिन जो अगर बदलने है तो
इसको व्यर्थ न जाने दे।
कर निश्चय कि हर मुश्किल
संकल्प से तेरे डर जाए।
अभ्यास के ये दिन कहीं ना
सोचने में गुजर जाए।
याद रहे बाधाओं से ना
चिंता करके लड़ पाते।
सोच अगर गहरी हो तो
कमजोर इरादे पड़ जाते।
कर इतना प्रयत्न अभी कि
व्यर्थ न ये अवसर जाए
किस दिशा है मंजिल तेरी
दिशा तू अपनी जान ले।
चलने से पहले राही तू
पथ अपना पहचान ले।
राह अगर जो एक रही तो
लक्ष्य पे हर डगर जाए।
चिंता करके लड़ पाते।
सोच अगर गहरी हो तो
कमजोर इरादे पड़ जाते।
कर इतना प्रयत्न अभी कि
व्यर्थ न ये अवसर जाए
अभ्यास के ये दिन कहीं ना
सोचने में गुजर जाए।
किस दिशा है मंजिल तेरी
दिशा तू अपनी जान ले।
चलने से पहले राही तू
पथ अपना पहचान ले।
राह अगर जो एक रही तो
लक्ष्य पे हर डगर जाए।
अभ्यास के ये दिन कहीं ना
सोचने में गुजर जाए।
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(इस कविता का copyright कराया जा चुका है। इस कविता का मकसद आपको प्रेरित करना है। किसी भी व्यायसायिक कार्य में बिना अनुमति के इसका प्रयोग वर्जित है।)
निचे इस कविता का उदेश्य एवं संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा हैं जिसे आपको अवश्य ही पढ़नी चहिये क्योंकि यह प्रेरणा से भरा हुआ एक अति-प्रेरणादायक लेख हैं।
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कविता का उद्देश्य एवं संक्षिप्त विवरण
सोच में इतना डूबा है क्यों
मत सोच की किधर जाए।
अभ्यास के ये दिन कहीं न
सोचने में गुजर जाए।
यह हिंदी प्रेरक कविता उन लोगो को सचेत करती है जो लोग अपने जीवन में सफलता हासिल तो करना चाहते है, लेकिन अपने लक्ष्य और मार्ग को लेकर स्पष्ट नहीं होते। उन्हें पता ही नहीं होता कि करना क्या है और करना कैसे है? यदि यह पता भी हो कि करना क्या है फिर भी वह दिन रात इसकी योजना बनाने में ही लगे रहते है किन्तु अभ्यास और प्रयत्न दोनों नहीं करते जो कि सबसे महत्वपूर्ण है किसी भी काम को सिद्ध करने के लिए।
मै यहां एक उदाहरण से आपको बताना चाहूंगा कि मान लीजिए मुझे पानी में तैरना सीखना है, तो मैंने स्विमिंग पे लिखी कई सारी किताबें पढ़ ली, फिर मैंने कई सारी योजना भी बना ली कि मुझे तैरना कैसे है, लगभग सभी आवश्यक ज्ञान भी हासिल कर ली लेकिन मैंने एक बार भी पानी में उतरकर तैरने का अभ्यास नहीं किया तो क्या मै तैर पाऊंगा? जवाब है बिल्कुल नहीं। जी हां अगर मै पानी में जाकर तैरने का अभ्यास नहीं करूंगा तो लाख किताबें पढ़ लूं, लाखो योजनाएं बनालू पर तैर नहीं पाऊंगा।
ठीक इसी प्रकार आप सफलता के ऊपर लिखी हुई कितनी भी किताबे पढ़ ले, कितनी योजनाएं बना ले या कितनी भी चिंता कर ले किन्तु जब तक आप अपने काम का अभ्यास नहीं करेंगे, उस काम को करना शुरू नहीं करेंगे तब तक आप सफल नहीं हो पाएंगे।
वो भाग्य पे अपने रोता है
जो इसे समझ न पाता है।
अन्नदाता असाड़ चुके तो
कई मास पछताता है।
याद रहे बाधाओं से न
चिंता करके लड़ पाते।
सोच अगर गहरी हो तो
कमजोर इरादे पड़ जाते।
सभी काम करने का एक निश्चित समय होता है और उसी समय में आपको वो काम करना होता है। जैसे परीक्षा से पहले ही परीक्षा की तैयारी करनी होती है, फेल हो जाने के बाद तैयारी करने से क्या फायदा, एक वर्ष तो आप पीछे चले गए।
जैसे धान के बीज को असाड़ के महीने में खेतों में डाला जाता है किन्तु यदि कोई किसान इस महीने में बीज डालने से चूक जाता है तो उसे अगले कई महीनों तक पछताना पड़ता है क्यूंकि या तो वह पिछड़ जाता है जिससे असमय होने की वजह से फसल ठीक नहीं होती या फिर उसे उस ऋतू में खेती करने से वंचित ही रहना पड़ता है।
चिंता करके लड़ पाते।
सोच अगर गहरी हो तो
कमजोर इरादे पड़ जाते।
ये तो सत्य है कि कोई भी व्यक्ति चिंता करके कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता बल्कि जो उसके पास है उसे खो जरूर सकता है। एक बात और सत्य है कि अपने लक्ष्य को लेकर आप जितनी ज्यादा सोचेंगे, जितनी ज्यादे योजनाएं बनाएंगे, आपके इरादे उतने ही कमजोर होते जाएंगे, आपका निश्चय उतना ही कम होता जाएगा। मै ये नहीं कह रहा कि आप योजना बनाकर काम न करे बल्कि बिना योजना के कोई भी कार्य बहुत ही कम सफल पाता है। मै तो इस बात को जोर देकर कहना चाहता हूं कि आप अपने काम को लेकर आवश्कता से अधिक न सोचे नाही आवश्कता से अधिक योजनाएं बनाए बल्कि आवश्कता से अधिक आपको कुछ करना ही है तो अपने काम का अभ्यास करें।
किस दिशा है मंजिल तेरी
दिशा तू अपनी जान ले।
चलने से पहले राही तू
पथ अपना पहचान ले।
हा आपको इतनी चिंतन जरूर करनी चाहिए कि आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर सके और उस तक पहुंचने का उचित मार्ग जान सके जिससे कि आप उस तक जल्द से जल्द पहुंच सके। मै यहां एक बात और बताना चाहता हूं कि एक बार मार्ग निर्धारित करने के बाद आपको उसी पे चलना है। यदि आप उसी मार्ग पे चलते है तो आप निश्चित लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे। किन्तु बार बार मार्ग बदलने से व्यक्ति या तो लक्ष्य तक पहुंच ही नहीं पाता या फिर निर्धारित समय से बहोत देर से पहुँचता ।
उम्मीद करता हूं कि इस हिंदी प्रेरक कविता से आपको जरूर प्रेरणा मिली होगी। ऐसे ही और हिंदी प्रेरणादायक कविता पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट www.powerfulpoetries.com पे जा सकते है तथा इसे Subscribe कर सकते है।
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Thank
you for reading this
Hindi Motivational Poem
"This
is not only a Hindi Motivational Poem but also a Life Changing Poem."
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