करोना पर हिंदी कविता। कोरोना का ये काल है।
करोना का ये काल है
जिंदगी बेहाल है।
चल रही है जिंदगी
थम रही है जिंदगी।
आगे इसके आज तो
बेदम रही है जिंदगी।
साथ इसके युद्ध में
ना शस्त्र है ना ढाल है।
लड़ रहा है हर कोई
जीने का सवाल है।
मौत भी तड़प रही है
कौन सा ये दृश्य है।
कर दिया लाचार है
जो दुशमन अदृश्य है।
जो दुशमन अदृश्य है।
कुदरत ने रूप आज
धर रखी विकराल है।
लड़ रहा है हर कोई
जीने का सवाल है।
आज सभी अपने भी
अपनों से दूर है
घर में ही रहने को
दुनिया मजबूर है
सड़के वीरान और
सुनी चौपाल है।
दर्द में है दुनिया ये
मुश्किलों का दौर है।
माने तू या माने न
ये वक्त ही कुछ और है।
खौफ के इस मंजर में
होश न ख्याल है।
लड़ रहा है हर कोई
जीने का सवाल है।
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आज जिंदगी एक अदृश्य दुश्मन से खुद ही लड़ रही है और कही जीत रही है तो कही हार कर
थम रही है। आज इंसान इसके आगे मजबूर है क्योंकी दुर्भाग्य से उसके हाथ में इससे
लड़ने के लिए अभी तक कोई हथियार नहीं है और इसी विवशता ने हर व्यक्ति को डर के
साये में जीने को विवश कर रखा है।
पुरे मानव जाती पे ये कुदरत का एक कठोर प्रहार है किन्तु गहन चिंतन करने पे ये
महसूस होता है कि कुदरत के इस कठोरता के पीछे कही ना कही हम इंसान ही जिम्मेदार
है। इंसान आज अपनी सीमाओं से परे होकर अपने स्वार्थ के लिए ऐसे-ऐसे कार्य करने
लगा जो किसी भी स्थिति में न तो प्रकृति के लिए ठीक है न हम इंसानों के लिए।
प्रत्येक देश अपनी रक्षा के लिए आज ऐसे ऐसे हथियार बना लिए जो पूरी पृथ्वी का
विनाश कर सकते है। कहने को तो ये अपने देश की रक्षा में है लेकिन यदि युद्ध में
ऐसे हथियारों का प्रयोग किया गया और इसके प्रभाव से मानव जाती का ही विनाश हो गया
तो फिर कौन किससे, किसकी रक्षा करेगा। यह गंभीर विषय है और इसपे अब लोगो को जरूर
चिंतन करनी चाहिए।
बहोत कम लोग ही इस बात को समझते है और ज़्यदातर लोग आज भी अपने निहित स्वार्थ के
लिए कुछ भी करने को तैयार है चाहे उससे भविष्य ही खतरे में क्यों न पड़ जाये। आज
लोग अपनी अगली पीढ़ी के बारे में भी नहीं सोचते कि हमारे थोड़े से स्वार्थ कि वजह
से उन्हें कितनी मुसीबत उठानी पड़ सकती है।
लोग स्वार्थी होने के साथ साथ आज दयाहीन भी हो गए है। जिस प्रकार इंसान अपने
फायदे के लिए निर्दोष जीवों कि निर्दयता से हत्या करता है उसे देख कर रूह
कांप उठती है। और शायद यही कारण है कि आज विश्व कि स्थिति इतनी भयावह है।
इंसान को अब समझना ही होगा कि ये धरती सिर्फ इंसानों कि ही नहीं है यह धरती उन
लाखो जीवों की भी है जो इंसानों का कभी नुकशान नहीं पहुंचना चाहते। वो अपनी अलग
दुनिया में सुखी जीवन व्यतीत करते है किन्तु इंसान ही उनकी दुनिया में जाकर अपने
निहित स्वार्थ के लिए उनका जीवन कष्टदायक बना देता है।
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यदि इंसान अब भी नहीं सम्भला और ऐसे ही इन मासूमो को कष्ट देता रहा तो निश्चित ही
प्रकृति और रूद्र रूप धारण करेंगी तथा इसका परिणाम इंसानों को भुगतना पड़ेगा। यह
परिणाम बहोत ही भयावह होगा जो इंसानों के अस्तित्व का निर्णय करेगा और शायद धरती
से इंसानों का अस्तित्व ही मिट जाये। तो अब इंसान को सम्भल जाना ही बेहतर होगा
नहीं तो आगे जो कुछ भी होगा उसका जिम्मेदार स्वयं इंसान ही होगा।
यह एक वास्तविकता पर आधारित कविता है जिसमे आज कि सच्चाई आपके सामने रखा गया है।
निचे कुछ प्रेरणादायक कविताएं है जिन्हे आपको अवश्य पढ़नी चाहिए। ये कविताएं आपको
जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा इन कविताओं के हमेशा अध्यन करने से
आप अपने जीवन में अविश्वसनीय परिवर्तन महसूस करेंगे।
Very canny
ReplyDeleteRealistic lines mama
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