जीत दिलाने वाली हिंदी प्रेरक कविता। कदम एक बढ़ाया तो।
मुश्किलों से भरी मिली।
कदम एक बढ़ाया तो
डरता था निकलने से
हर पथ अनजाना लगता था।
खुद पे नहीं भरोसा था
तो चाँद पे जाना लगता था।
निकला मन से ढूंढ़ने तो
दायरे में पड़ी मिली।
कदम एक बढ़ाया तो
मंजिल सामने खड़ी मिली।
वक्त फिसलता चला गया।
असमंजस में पड़ा रहा मै
सूरज ढलता चला गया।
किस्मत के सहारे था तो
जिद्द पे अपनी अड़ी मिली।
कदम एक बढ़ाया तो
मंजिल सामने खड़ी मिली।
कर चिंता दिन रात ही
मै अवसर खोता रहता था।
वो कहती कदम बढ़ाने को
मै भाग्य पे रोता रहता था।
माँगा जो फरियादो में
नाराज मुझे हर घड़ी मिली।
कदम एक बढ़ाया तो
मंजिल सामने खड़ी मिली।
पग पग पे जलना होगा।
मै बेवजह ही डरता था
आसान नहीं चलना होगा।
ठान लिया जो करने की
तो मेहनत कर न कड़ी मिली।
कदम एक बढ़ाया तो
मंजिल सामने खड़ी मिली।
जो युद्ध में जाया करते है।
साहस करने वाले ही तो
जीत कर आया करते है।
यकीन दिलाया खुद को तो
उम्मीदों से भी बड़ी मिली।
कदम एक बढ़ाया तो
मंजिल सामने खड़ी मिली।
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(इस कविता का copyright कराया जा चुका है। इस कविता का मकसद आपको प्रेरित करना है। किसी भी व्यायसायिक कार्य में बिना अनुमति के इसका प्रयोग वर्जित है।)
निचे इस कविता का उदेश्य एवं संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा हैं जिसे आपको अवश्य ही पढ़नी चहिये क्योंकि यह प्रेरणा से भरा हुआ एक अति-प्रेरणादायक लेख हैं।
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कविता का उद्देश्य एवं संक्षिप्त विवरण
डरता था मै चलने से तो
मुश्किलों से भरी मिली।
कदम एक बढ़ाया तो
मंजिल सामने खड़ी मिली।
इस कविता में एक ऐसे व्यक्तित्व को दर्शाया गया है जो हमें बताता है की जब तक वह संकोच में था, जब तक वो डर रहा था तथा जब तक वो चलने का साहस नहीं कर पा रहा था तब तक उसके लक्ष्य के रास्ते में सिर्फ और सिर्फ उसे मुश्किलें ही दिखाई दे रही थी। किन्तु जैसे ही उसने चलने का साहस कर चलना शुरू किया तो उसका लक्ष्य बिलकुल उसके सामने नजर आने लगा।
यह कटु सत्य है कि ज्यादेतर लोग सिर्फ और सिर्फ इसलिए लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते क्योंकी वो चलने का साहस ही नहीं कर पाते है। वो अपना ध्यान काम पर लगाने के बजाय अपनी सारी ऊर्जा सिर्फ ये सोचने में लगा देते है की यदि रास्ते में कोई समस्या आ गई तो उसका सामना कैसे कर पाएंगे। जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं होता और सच कहूँ तो ऐसी कोई समस्या ही नहीं आती जिसका समाधान आपके पास न हो।
एक बात बहोत महत्वपूर्ण है कि जब आपका ध्यान आपके लक्ष्य पे होता है तो आपको पता ही नहीं चलता कि समस्या कब आई और कब चली गई। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बात करू तो जब हमारा सारा का सारा फोकस लक्ष्य पे होता है तो उस वक्त हमारा शरीर ऑटोमेशन मोड पे चला जाता है और खुद ही सारी समस्याओं कर हल करता चला जाता है।
आपने देखा होगा जब ऑफिस में या घर में आपके ऊपर अचानक से बहोत से काम आ जाते है जो कि बहोत ही जरूरी होते है और जिन्हे हर हाल में करना ही होता है। ये ज्यादेतर उस वक्त होता है जब कोई फंक्शन हो या कोई शादी हो। तो क्या आप ये काम नहीं कर पाते है, क्या आप इन कामों को अधूरा छोड़ देते है? जी नहीं ये सारे काम हो जाते है और आप ही करते है तथा इतनी जल्दी करते है कि यदि आप सोच कर समझ करना चाहे तो आप ये कर ही नहीं सकते। तो अब सवाल यह है कि इतना सारा काम इतने कम समय में वक्त रहते कैसे हो पाता है?
ये सिर्फ और सिर्फ इसलिए हो पाता है क्योंकी आपका सारा का सारा फोकस काम को ख़तम करने पे होता है और इसी वजह से आपका शरीर और दिमाग ऑटोमेशन मोड पे चला जाता है। यहां तक कि ऐसी स्थिति में कई बार शरीर में कोई कष्ट भी है तो उसका भी आभास नहीं होता।
इंसान कि क्षमताएं असीमित हैं लेकिन हम इसे समझ नहीं पाते हैं और ना ही हम इसे समझने का साहस कर पाते हैं। हमें पता हैं कि एक इंसान 40 फुट कि ऊंचाई से निचे गिरे तो उसकी मृत्यु निश्चित हैं फिर भी इंसान अपनी ही बनाई गयीं साधन पे भरोसा करके 40 हजार फुट कि ऊंचाई से निचे कूद जाता हैं और सही सलामत जमीन पर उतर भी जाता हैं।
आपकी जीत और हार सिर्फ और सिर्फ आपके डर और साहस पर निर्भर करती हैं। क्योंकि थोड़ी सी ट्रेनिंग के बाद हर इंसान पानी में तैर सकता हैं लेकिन जो पानी में उतरने का साहस ही नहीं कर सकता क्या वह भी पानी में तैर सकता हैं? जबाब हैं कभी नहीं।
एक बात और महत्वपूर्ण हैं कि जैसे मुठी से रेत फिसलता चला जाता है ठीक उसी प्रकार इंसान के असमंजस में पड़े रहने से वक्त निकलता चला जाता हैं और वह कोई भी सटीक निर्णय नहीं लें पाता। और सबसे बड़ी बात हैं कि इंसान को इसका आभास भी तब होता हैं जब उसके पास वक्त ही नहीं बचता।
देखिये असफलता का एक सबसे बड़ा कारण हैं 'संशय'। संशय में पड़ा व्यक्ति कभी भी कोई काम समय पे नहीं कर पाता जिसका परिणाम होता हैं कि या तो वह असफल हो जाता हैं, या असमय सफलता प्राप्त करता हैं जिसका महत्व नहीं रह जाता।
उम्मीद करता हुँ कि इस कविता और लेख को पढ़ने के बाद आप भी संशय को त्याग कर अपने कार्य में लगने का प्रयास करेंगे। यकीन मानिये ये डर सिर्फ उन्ही लोगो को डरता हैं जो अपने काम में लगने के बजाय सिर्फ नकारात्मक बिन्दुओ पर सोचते रहते हैं। किन्तु जो लोग अपने काम में जुट जाते हैं उनके मन से सारे डर निकल जाते हैं तथा वो धीरे-धीरे अपने लक्ष्य के तरफ बढ़ने लगते हैं और अंततः लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं।
ऐसी ही और प्रेरणादायक कविताएं पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट www.powerfulpoetries.com पर जा सकते है जहां से आप अपने आप को लगातार Motivate कर सकते है।
Thank you for reading this
Hindi Motivational Poem
"This is not only a Hindi Motivational Poem but also a Life Changing Poem."
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