Hindi Poem on Big Success। Energetic Poem in Hindi
अभी तो चलना शुरू किया हैं।
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Hindi energetic Poem |
यह मंजिल एक तोहफा हैं
अभी इसपे क्या इठलाना हैं।
अभी तो चलना शुरू किया हैं
और आगे भी जाना हैं।
राह तुझे क्या रोकेगी
ठान लिया जो चलने को।
धूप से ना भयभीत होगा
निकल गया जो जलने को।
अभी परिश्रम की भठी में
खुद को और तपाना हैं।
अभी तो चलना शुरू किया हैं
और आगे भी जाना हैं।
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Hindi Utsahvardhak Kavita |
जरा ठहर के देख लें पीछे
कई बाधा हैं पार किया।
चमत्कार तूने जीवन में
एक नहीं कई बार किया।
चमत्कार ऐसे जीवन में
कितने और दिखलाना हैं।
अभी तो चलना शुरू किया हैं
और आगे भी जाना हैं।
तू चट्टान हैं, तू सागर हैं
तेरे वेग का जोर नहीं।
तू अद्वितीय विश्व पटल पे
तुझ जैसा कोई और नहीं।
अभी असंभव के छाती पे
तुझको बज्र चलाना हैं।
अभी तो चलना शुरू किया हैं
और आगे भी जाना हैं।
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Utsah par kavita |
हुआ तनिक न विचलित तूने
जब जब छाती ठोक लिया।
सम्मुख आके खड़ा हुआ तो
तूफानों को रोक दिया।
अभी तो ऐसे तूफानों से
कई बार टकराना हैं।
अभी तो चलना शुरू किया हैं
और आगे भी जाना हैं।
कविता का उद्देश्य एवं संक्षिप्त विवरण
अक्सर देखा जाता हैं कि कई लोग जीवन में थोड़ी सी सफलता प्राप्त करके ही संतुष्ट हो जाते है तथा अपनी असीमित क्षमताओं को इन छोटी सी सफलता के बाद ही भूल जाते हैं। मै ये नहीं कहता कि संतुष्ट होना गलत बात हैं बल्कि आज के समय में यदि कोई व्यक्ति अपनी सफलता से संतुष्ट हैं तो ये बहोत ही अच्छी बात हैं किन्तु इंसान का जीवन हमेशा गतिशील होना चाहिए। संतुष्ट होने का ये मतलब नहीं कि जीवन में ठहराव आ जाये।
"जिस दिन किसी व्यक्ति के जीवन में ठहराव आ गया समझिये जीवन का उदेश्य और अस्तित्व दोनों ही खत्म हो गए।"
कई लोग एक नौकरी प्राप्त कर के ही संतुष्ट हो जाते हैं तथा पूरा जीवन एक मध्यम वर्ग में रहकर बिता देते हैं। वह अपने जीवन स्तर को और बेहतर बनाने का कभी प्रयत्न ही नहीं करते। जबकि वह चाहे तो इसे और बेहतर बना सकते हैं।
देखिये ये बिलकुल सही हैं कि परिवार के भरण पोषण के लिए एक निश्चित आमदनी कि हर महीने आवश्यकता होती हैं किन्तु ये आमदनी जीवन भर निश्चित ही रहे ये आपके और आपके परिवार के लिए उचित नहीं हैं। "जब आपकी क्षमता असीमित हैं तो आपकी आय और साधन सीमित क्यों हो?"
अब कई लोगो को ये पता ही नहीं हैं कि उनकी क्षमता जो अभी वो कर रहे हैं उससे कई गुणा ज्यादे हैं तो मै उन्हें बताना चाहता हुँ कि सच में आपकी क्षमता असीमित हैं किन्तु आपने खुद ही इसे बेड़ियों में जकड़ रखा हैं। अपने इसे कई सारे बेड़ियों में जकड़ रखा हैं जैसे- समय कहाँ हैं, काम से फुरसत कहाँ हैं, दफ़्तर के बाद इतनी शक्ति कहाँ बचती कि कुछ और कर सके, पहले ही इतनी सिरदर्दी हैं और सिरदर्दी नहीं लें सकते...इत्यादि इत्यादि।
अब बेहतर यही होगा कि इन बेड़ियों को आप तोड़ कर आगे बढ़े। यकीन मानिये आपको सिर्फ संकल्प करना हैं, काम शुरू करना हैं और अपने काम का आनंद लेना हैं, आप आगे बढ़ते जायेंगे और आपको कभी भी कोई समस्या नहीं आएगी। यदि कोई समस्या आती भी हैं तो वह अभी जिन समस्याओ से आप रोज जूझ रहे हैं उससे बहोत ही छोटी होगी।
अब इन सब बातो से ऊपर उठकर कविता के मूल तत्व पे आते हैं :
राह तुझे क्या रोकेगी
ठान लिया जो चलने को।
धूप से ना भयभीत होगा
निकल गया जो जलने को।
जी हाँ कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने की यदि ठान लें तो उसे कोई भी नहीं रोक सकता, कोई भी समस्या तथा कोई भी बाधा उसे नहीं रोक सकती जब तक वह स्वयं न रुक जाये। अब लोग गलती कहाँ करते हैं? लोग अपने काम पे फोकस करने के बजाय, काम का आंनद लेने के बजाय अपना सारा का सारा ध्यान आने वाली समस्याओ पे केन्द्रित करते रहते हैं। कभी-कभी तो ऐसी ऐसी समस्याओ के बारे में सोच सोच कर खुद को थका देते हैं जो कभी आनेवाली ही नहीं हैं। दूसरी बात हैं की लोगो का ध्यान काम से ज्यादे काम के परिणाम पे होता हैं इसलिए जैसे ही एक दो परिणाम गलत आते हैं तो धैर्य जबाब दे जाता।
एक बहोत ही छोटी सी बात समझ में नहीं आती हैं की जब हम कोई बीज जमीन में बोते हैं तो क्या उसी वक्त फसल निकल आती हैं। हम उसे समय समय पर सींचते हैं, समय समय पर उसकी सही देख रेख करते हैं तब एक निश्चित समय के बाद उसमे फसल आती हैं। अब कोई बीज बोते ही खेत में बैठ कर ये बोले की मैंने बड़ी मेहनत करके बीज बोया हैं और फसल नहीं आयी और अगले कुछ दिनों में ही हताश होकर उसकी देख रेख बंद कर दे तथा उचित समय पर सिंचाई न करे तो फसल आएगी। जी नहीं फसल नहीं आएगी और हम अक्सर यही करते हैं अपने सपनो के साथ। बीज तो डाल देते हैं किन्तु बहोत जल्दी धैर्य खोकर उसे छोड़ देते और हमारे सपने सुख जाते हैं।
तू चट्टान हैं, तू सागर हैं
तेरे वेग का जोर नहीं।
तू अद्वितीय विश्व पटल पे
तुझ जैसा कोई और नहीं।
इस कविता में एक ऐसे व्यक्तित्व को दर्शाया गया हैं जिसने सफलता का बहोत बड़ा मुकाम हासिल कर रखा हैं, किन्तु वही बात हैं की "जब क्षमताएं असीमित हैं तो सफलताएं सीमित क्यों हो।"
ये महसूस करने वाली बात हैं और आप भी महसूस कीजिये कि आपके भीतर असीमित क्षमता हैं। एक बार हिम्मत करके तो देखिये मजा आ जायेगा। महसूस कीजिये की इस कविता में जिसकी बात कही जा रही हैं वो आप ही हैं। आपने कई बार जीवन चमत्कार किया हैं, कई बाधाओं को बढ़े ही आराम से पार किया हैं। आप चट्टान हो तूफानों से नहीं हिलते, आप सागर हो आपका कोई अंत नहीं हैं, आप जैसा पुरे विश्व में कोई और नहीं हैं, आपका जीवन व्यर्थ नहीं हैं, आपके कौशल, हिम्मत और धैर्य के आगे आपके सपने बहोत छोटे हैं जो हर हाल में पुरे होकर रहेंगे।
अब जरुरत हैं कि आप अपने आप को पहचाने, अपनी क्षमताओं को पहचाने। अपनी उम्र पे मत जाइये उम्र कोई बाधा नहीं हैं अपनी क्षमताओं को पहचानिये सफलता हर उम्र में मिल सकती हैं। हजारों उदाहरण हैं आप भी एक उदाहरण बनिए। "परिणाम से ध्यान हटाकर सिर्फ काम पर ध्यान लगाइये और अपने काम का आनंद लीजिये, परिणाम निश्चित ही चमत्कारी होगा।"
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