निर्भया और मनीषा कांड पे आधारित कविता। अभी जीना चाहती थी वो।


Touching Poem on Rape and Murder 

Hindi Poem on rape and murder


जब दरिंदो ने दरिंदगी के

हदें पार कर दिया।  

मासूम सी एक जिन्दगी को 

बेवश लाचार कर दिया। 


रात के पहले पहर में 

इंसानियत चैन सो गया। 

अनगिनत जख्मो से तब 

एक जिस्म छलनी हो गया। 


हौशलों से उन जख्मो को 

सीना चाहती थी वो। 

लेकर उम्मीद इंसाफ की 

अभी जीना चाहती थी वो। 


Nirbhaya kand pe kavita


खुशियों के एक आँगन में 

बड़ी नाजो से वो पली थी। 

पलकों में कई सपने लिए

उड़ान भरने चली थी। 


पिता की लाढ़ थी उसपे 

माँ का दुलार था। 

सबकी तरह उसको भी 

जिन्दगी से प्यार था। 


धरती कांप गई स्वेत जब

चादर में लिटाया था। 

अभी तो दुल्हन बनने का

वक्त भी न आया था। 

Manisha kand pe kavita


हाथो में लहू के बदले

हिना चाहती थी वो। 

लेकर उम्मीद इंसाफ की

अभी जीना चाहती थी वो। 


मिलकर कई हैवानो ने 

इस कदर थे तोड़ दिए। 

होंठ भी खामोशियों के 

साथ दामन जोड़ लिए। 


नम आँखों से ही सही

हर दर्द बयां करती रही। 

खुद को इंसाफ दिलाने को 

वो मौत से लड़ती रही। 


Hindi Poem on rape and murder



देख उसके हौशलों को 

देश पीछे आ गया। 

न्याय उसे दिलाने को 

हर कोई हाथ बढ़ा गया। 


दंड में उन पापीयों की 

कमी ना चाहती थी वो। 

लेकर उम्मीद इंसाफ की

अभी जीना चाहती थी वो। 


गिनती की ही साँसे थी 

उनमे भी कमियां दिख गई।

धड़कने मशीनों की 

रहमत पे आके टिक गई।


Hindi Poem on rape and murder 



हक में उसके दुनिया की 

न कोशिशे तमाम आई। 

मंदिर और मस्जिदों की

दुआएं भी न काम आई। 


दिल की कई ख्वाहिशों को

दिल में दबा के चल गई। 

हैवानियत की आग में

वो बेवजह ही जल गई। 


मौत अपनी इस कदर

अभी ना चाहती थी वो। 

लेकर उम्मीद इंसाफ की

अभी जीना चाहती थी वो। 


कौन जनता था वो रात भी

इतनी काली हो जाएगी। 

अँधेरे की उस ओट में 

एक जिंदगी खो जाएगी। 


Hindi Poem on rape and murder


दुखो की मँझधार में वो

अकेले बह के चली गई। 

वो दर्द समझना मुश्किल हैं

जो दर्द वो सह के चली गई। 


कानून की दहलीज पे

इंसाफ भले मिल जायेगा।  

आँखों से गिरी बूंदो की

पर कीमत कौन चुकाएगा। 


इंसानों से ही ऐसे जख्म

कभी ना चाहती थी वो। 

लेकर उम्मीद इंसाफ की

अभी जीना चाहती थी वो। 


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(इस कविता का copyright कराया जा चुका है। इस कविता का मकसद एक असहनीय पीड़ा और दर्द से आपको अवगत कराना हैं। किसी भी व्यायसायिक कार्य में इसका प्रयोग वर्जित है।)
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कविता का उद्देश्य

यह कविता नहीं एक भावना हैं,  एक दर्द हैं,  एक पीड़ा हैं,  एक क्रूर मानवता का परिचय हैं। दुःख के साथ साथ ये बहोत ही कि शर्म की बात भी हैं की आज भी हमारे समाज में जहा लड़कियों को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती हैं वही पे कुछ लोग इनके साथ ऐसा दुर्व्योहार करते हैं जिससे इंसानियत भी शर्मसार हो जाती हैं। 

 

इन देवियो पे ये अमानवीयता आज से नहीं हो रहा हैं बल्कि शादियों से इन्हे ये दर्द सहन करते आना पड़ रहा हैं और न जाने ये कब तक चलता रहेगा। आज नारी सशक्तिकरण की कितनी भी बात कर ली जाए पर वास्तविकता आज भी भयभीत कर जाती हैं। 

सबसे ज्यादा दुःख तब होता हैं जब इन अपराधिओं को बचाने के लिए भी प्रत्यक्ष रूप से न सही किन्तु अप्रत्यक्ष रूप से ही एक बड़ा तबका खड़ा हो जाता हैं। तब ये अपराध केवल एक ही व्यक्ति का नहीं रह जाता बल्कि कई लोगो की इसमें भागीदारी हो जाती हैं जिससे इंसाफ कमजोर हो जाता हैं और अपराध को संरक्षण मिल जाता हैं। 

एक बड़ा सवाल हैं की क्या ऐसी घटनाओ के पीछे सिर्फ उन्ही का हाथ होता हैं जो इन घटनाओ को अंजाम देते हैं? जी नहीं सिर्फ उन्ही का हाथ नहीं होता बल्कि उनके माता पिता का,  परिवार का, समाज का और कानून व्यवस्था का भी इन घटनाओ में अहम योगदान होता हैं। 


बढ़ावा सबसे पहले घर परिवार और माँ बाप से ही मिलता हैं। किसी भी बच्चे में इतना साहस नहीं होता की वह इस तरह के बड़े अपराध को अंजाम दे सके यदि उसे बचपन से ही माँ बाप ने अच्छे संस्कार दे रखे हो, माँ बाप ने उसकी गलतियों को कभी भी ढकने की कोशिश न किया हो, बच्चे के गलत होने पर उसका साथ न दिया हो,  उसके साथ संगत का हमेशा जायजा लिया हो, बचपन से ही उसे महिलाओं का सम्मान करना सिखाया हो तथा किसी भी महिला या लड़की के साथ दुर्व्योहार करने पे इसके परिणाम और सजा से अवगत कराया हो। 

 

यदि हर परिवार, माँ बाप अपने बच्चों के साथ इतना कर लें तो ऐसे अपराध लगभग खत्म ही हो जायेंगे और बच्चों के साथ साथ पूरा परिवार भी इस बड़ी मुसीबत से बच सकता हैं। इन सबसे बड़ी बात हैं कि सिर्फ इतना ही करने से किसी माँ बाप का स्वाभिमान बच सकता हैं, किसी परिवार की प्रतिष्ठा बच सकती हैं और किसी मासूम की जिंदगी बच सकती हैं। 

 

ये तो बात हो गई माँ बाप और घर परिवार की, अब इन घटनाओ में समाज और कानून व्यवस्था की क्या भूमिका हैं उसपे भी बात कर लेते हैं। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रो में ऐसी घटनाये घटती रहती हैं लेकिन 90 प्रतिशत घटनाये समाज के डर से बाहर नहीं आ पाती हैं। केवल 10 प्रतिशत घटनाये बाहर आती हैं जिसमे से 7 प्रतिशत घटनाओ में किसी न किसी स्तर पे लड़कियों/महिलाओ को ही दोषी बताकर बात को खत्म कर दी जाती हैं। 

 

केवल 3 प्रतिशत घटनाये ही तक न्यायलय पहुँच पाती हैं तथा  इसमें भी 2 प्रतिशत घटनाओ में न्याय प्रक्रिया के जटिलता की वजह से उचित न्याय से पहले ही केस को वापस लें लिया जाता हैं। केवल 1 प्रतिशत घटनाओं में ही उचित न्याय मिल पाता हैं। और यही वजह हैं कि इन अपराधियों को संरक्षण तथा बढ़ावा मिल जाता हैं। 

 


अगर सच में ऐसी घटनाओं को रोकनी हैं तो हर व्यक्ति को हर स्तर पे अपनी जिम्मेदारी का सही निर्वाहन करना पड़ेगा और इसमें सबसे बड़ी भूमिका माँ बाप की होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसका शिकार हमारी आपकी किसी भी मासूम गुड़िया हो सकती हैं। 

 

और यदि लड़को की बात करे तो सही शिक्षा न होने की वजह से लड़के का भविष्य और जीवन दोनों ख़राब हो सकता हैं और परिवार बहोत बड़ी मुसीबत में फंस सकता हैं। 

 

तो अब जरुरत हैं की हर माँ बाप अपने लड़को को सही शिक्षा दे तथा ऐसे अपराध के परिणाम के बारे में उन्हें खुलकर समझाये। उनके संगतो पे गौर करें, उनकी छोटी मोटी गलतियों को ढकने की कोशिश न करे बल्कि जिस प्रकार भी हो सके उस गलती को रोकने की कोशिश करें और ऐसा करके अपराध से मुक्त एक सुन्दर समाज बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।

Here are some inspirational Poems in Hindi and I strongly believe that these life changing Poems will definitely inspire you to achieve your Goal soon.


List of Hindi Motivational Poems


>बचपन पर कविता। जब पांच साल का होता था। 















Thank you for reading this

Hindi Poem

Comments

  1. Good has been written. Must take a look at your sister's side once before thinking bad about any girl

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