वह कौन हैं? जिद्द और संघर्ष पर कविता।
थक कर कही न बैठ रहा हैं
ना मुश्किलों से घबरा रहा हैं।
वह कौन हैं पगडंडियों पे
अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
ठण्ड में पांव ठिठुरते हैं न
गर्मी थका रही उसको।
कौन सी अभिलाषा हैं जो
निरंतर चला रही उसको।
रुकना नहीं पसंद हैं उसको
वक्त अपना न गवां रहा हैं।
वह कौन हैं पगडंडियों पे
अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
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Hindi poem on life |
बिजलियों की चमक से
मन विचलित ना हो रहा हैं।
बादलो की गरज से न
धीरज अपना खो रहा हैं।
बारिसों की बूंदो से ना
खुद कही छुपा रहा हैं।
वह कौन हैं पगडंडियों पे
अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
सामने चट्टान मिले तो
तोड़ने लग जाता हैं।
राह भी जो टूटी हो तो
जोड़ने लग जाता हैं।
जोड़ जोड़ टूटी राहो को
राह नई बना रहा हैं।
वह कौन हैं पगडंडियों पे।
अकेला बढ़ता जा रहा।
![Saahas-par-hindi-kavita Saahas-par-hindi-kavita](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi2WJqOlUSJr0GN8Xu4ORNpQLsqjx2hJAg4RqMFu6llEB-A_jo8GGo83GY70e017V50uEInsWPguq361j6U09BQFAX1XwNilYSxg2QCrvsAeD2PWs8sbUVx-Yx_DKHgdu-MV42TUzQS8Tw/w400-h268/Saahas-par-hindi-kavita.jpg) |
Jid aur sangharsh par kavita |
साथी भी कई साथ थे
पर अब अकेला दिखता हैं।
थम गए सब चलते चलते
वो कही न रुकता हैं।
डरता नहीं वो मुश्किलों से
खुद को ही आजमा रहा हैं।
वह कौन हैं पगडंडियों पे
अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
चमकती हुई उन आँखों में
न जाने कौन सा ख्वाब हैं।
क्या देख रहा अपने आगे
जिसे पाने को बेताब हैं।
संघर्षो के रणभूमि में
वक्त से बाजी लगा रहा हैं।
वह कौन हैं पगडंडियों पे
अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
![Hindi motivational poem Hindi prernadayak kavita](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiA-fcwIKlilJ5NXfL0kraKqJMhDXDKGYe-bDKrtSLEYRPA2vF7PAdsP25vEs79RH8v0rBAuxRJrugwMKuAiwv_z4OphEbzVcezujlkEWp9ykZJVvAeZjXtBSOt_34PmzjJlbvMFs4eBDI/w400-h281/Hindi-prernadayak-kavita.jpg) |
Hindi prernadayak kavita |
मन के उसकी गहराई में
किस मंजिल की उम्मीद हैं।
बिन पाए न रुकना हैं
शायद ये उसकी जिद्द हैं।
जिद्द पे अपने अटल हैं वो
खुद को रफ्तार से भगा रहा हैं।
वह कौन हैं पगडंडियों पे
अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
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(इस कविता का copyright कराया जा चुका है। इस कविता का मकसद आपको प्रेरित करना है। किसी भी व्यायसायिक कार्य में बिना अनुमति के इसका प्रयोग वर्जित है।)
निचे इस कविता का उदेश्य एवं संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा हैं जिसे आपको अवश्य ही पढ़नी चहिये क्योंकि यह प्रेरणा से भरा हुआ एक अति-प्रेरणादायक लेख हैं।
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कविता का उद्देश्य एवं संक्षिप्त विवरण
वह कौन हैं पगडंडियों पे
अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
जैसा की इस पंक्ति से ही पता चला रहा हैं कि यह कविता ऐसे व्यक्ति पे आधारित हैं जो अपने लक्ष्य के मार्ग पर अकेला बढ़ता जा रहा हैं। यदि आपने भी जीवन में थोड़ी सी भी सफलता हासिल किया तो आप भी अपने आप को इससे जोड़ कर देख सकते हैं। कैसे दसवीं में आपके साथ आपके मोहल्ले के कई सारे दोस्त थे जो बारहवीं और स्नातक (Graduation) तक आते आते केवल कुछ ही बच गए। उनमें से भी केवल कुछ दोस्त ही आपकी तरह एक सफल जीवन जी रहे हैं बाकि सभी कब असफलता के दलदल में गिर गए उन्हें भी पता ही नहीं चला और आज एक अति साधारण जीवन जीने पे मजबूर हैं। यदि आप अपने आप को थोड़ी सी भी इस कविता से रिलेट कर पाए तो यकीनन निचे प्रस्तुत किया गया लेख सार्थक हो जायेगा।
इस दुनिया में कई तरह के लोग हैं लेकिन ज्यादेतर लोग ऐसे होते हैं जो भीड़ के साथ साथ चलते हैं उनका अपना कोई मार्ग नहीं होता, अपना कोई उदेश्य नहीं होता, अपना कोई लक्ष्य नहीं होता। लेकिन उन्ही में कोई ऐसा होता जिसके चलने का उदेश्य होता हैं, जो एक निर्धारित लक्ष्य की तरफ बढ़ता हैं और भीड़ से अलग एक अपना मार्ग बनाता हैं। उसे फर्क नहीं पड़ता कि उसके साथ कब कौन जुड़ा और वो कब पीछे छूट गया। वो बस अपनी ही धून में आगे बढ़ता रहता हैं।
ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में इस कविता में बात कही जा रही हैं जो अपनी धून में मस्त हैं। जो भीड़ से बिलकुल अलग एक खुद के बनाये हुए रास्ते पे आगे बढ़ता जा रहा हैं। ठण्ड में उसके पांव ठिठुरते नहीं हैं, तेज गर्मी भी उसे थका नहीं पाती। पता नहीं उसके मन में कौन सी अभिलाषा हैं जो निरंतर उसे चलाए जा रही हैं। वो कही रुककर अपना वक्त भी नहीं बर्बाद नहीं कर रहा हैं।
बादल गरजे, बिजली चमके या बारिश आये फिर भी न तो उसका मन विचलित होता हैं ना वह धैर्य खोता हैं और नाही इनसे बचने के लिए खुद को कही छुपाता हैं। बल्कि ऐसा लग रहा हैं कि वो इन कठिनाइयों का आंनद ले रहा हैं। चलते- चलते कही किसी पत्थर ने रास्ता रोका तो उसे तोड़ने में लग जाता हैं, कही पर रास्ता ही टूट रहा हो तो उसे जोड़ने में लग जाता हैं और उन्हें जोड़कर अपने लिए फिर से नया मार्ग बना लेता हैं।
जब निकला था तब कई साथी उसके साथ थे पर अब उस रास्ते पे वो अकेला ही दिखता हैं। सब ना जाने कहाँ पीछे छूट गए, शायद चलते चलते सबकी हिम्मत टूट गई हो और सब थक कर बीच में ही रुक गए हो किन्तु वो नहीं थकता और ना ही कही रुकने का नाम लेता हैं। वो हर परिस्थिति में खुद परखने लगता हैं, हर कठिनाई के सामने दृढ़ता से खड़ा हो जाता हैं। वो हारे या जीते उसे फर्क नहीं पड़ता बस चलता रहता हैं और इस चलने कि प्रक्रिया में कठिनाई खुद ही पीछे छूट जाती हैं और वो आगे निकल जाता हैं।
कोई नहीं जानता हैं कि उसकी चमकती हुई आँखों में कौन सा ख्वाब पल रहा हैं जिसे पूरा करने लिए वो हर वक्त बैचैन रहता हैं। वो अपने कर्म के कुरुक्षेत्र में वक्त से ही बाजी लगाता हैं और कभी वो जीत जाता हैं तो कभी समय जीत जाता हैं किन्तु वो हार नहीं मानता और इस युद्ध क्रीड़ा में हमेशा सक्रिय रहता हैं। न जाने उसके अंतर्मन में कौन सा लक्ष्य हैं, कौन सी मंजिल हैं जिसे बिना प्राप्त किए नहीं रुकना हैं। इसी जिद्द पे वो हमेशा कायम हैं और खुद को बहोत ही तेज गति से निरंतर आगे बढ़ा रहा हैं। आखिर वह कौन हैं जो पगडंडियों पर अकेला बढ़ता जा रहा हैं।
आपने यह कविता और ये लेख पूरा पढ़ा हैं तो जरा रुकिए और एक बार चिंतन कीजिये, अपने अंदर झाँकने कि कोशिश किजिये और अभी तक के अपने सफर को समझने की कोशिश कीजिये क्योंकि पगडंडियों पे अकेला बढ़ने वाला व्यक्ति आप भी हो सकते हैं। यदि ऐसा हैं तो अपने ऊपर गर्व कीजिये और यदि ऐसा नहीं हैं तो अपने आप की खोज कीजिये की आप कहाँ हैं। कही उसी भीड़ में तो नहीं हैं जो पीछे छूट गया और यदि आपको महसूस हो रहा हैं कि आप भी उसी भीड़ के हिस्सा हैं तो निराश मत होइए। आप फिर से उठिये और चलना शुरू कीजिये क्योंकि आप अभी भी बहोत पीछे नहीं हैं। जहां आप हैं वही पे सब लोग हैं, आप जैसे ही चलना शुरू करेंगे आप उन लोगो से आगे निकल जायेंगे।
उम्मीद करता हूं कि इस हिंदी प्रेरणादायक कविता से आपको काफी प्रेरणा मिली होगी। ऐसी ही और प्रेरणादायक कविताएं पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट www.powerfulpoetries.com पर जा सकते है।
Thank you for reading this
Hindi Motivational Poem
"This is not only a Hindi Motivational Poem but also a Life Changing Poem."
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