A Poem for Self Motivation
दृढ़ निश्चय पर कविता। भर के मुठ्ठी वही लाता हैं।
धैर्य न अपना खो देना तुम
वक्त यदि आजमाए तो।
मत होना उदास कभी तुम
लौट के खाली आये तो।
सहज़ नहीं किन्तु न दुर्लभ
पाना सागर में मोती।
भर के मुठ्ठी वही लाता हैं
निश्चय करके ही जाये जो।
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Poem for Self Motivation |
चिर के तेज धाराओं को
सिंधु के तल तक जाने की।
हिम्मत तो रखनी पड़ती हैं
लहरों से टकराने की।
हर गोते में हाथ लगे ये
सहज़ न इतना होता हैं।
किन्तु निश्चित ही पाता है
जो धीरज कभी न खोता हैं।
जय सदा उसी की होती
हार से न घबराये जो।
भर के मुठ्ठी वही लाता हैं
निश्चय करके ही जाये जो।
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पहली कोशिश में जीत मिले
केवल संजोग से होता हैं।
किन्तु ये जीत सदैव मिले
ये कर्म योग से होता हैं।
हुआ सफल कोई एक ही बिरले
जो संजोग पे निर्भर था।
सफल हुआ हर एक खड़ा जो
कर्म पे अपने डटकर था।
कर्म ही किस्मत की चाभी हैं
खुद को ये समझाये तो।
भर के मुठ्ठी वही लाता हैं
निश्चय करके ही जाये जो।
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Poem
for self motivation |
बैठ किनारे सिंधु के जो
भाग्य पे अपने रोते हैं।
पास पड़े अनमोल रत्न
प्रयत्न बिना वो खोते हैं।
जब तक उतरे न पानी में।
तब तक ही भय सताता हैं।
उतर गए जो साहस करके
तो जीवन बन जाता हैं।
हर बाधा से लड़ जाने की
साहस भी दिखलाये तो।
भर के मुठ्ठी वही लाता हैं
निश्चय करके ही जाये जो।
कविता का उद्देश्य एवं संक्षिप्त विवरण
सहज़ नहीं किन्तु न दुर्लभ
पाना सागर में मोती।
भर के मुठ्ठी वही लाता हैं
निश्चय करके ही जाये जो।
सागर में मोती पाना आसान नहीं हैं लेकिन ऐसा भी नहीं हैं कि मोती मिलता ही नहीं हैं। ठीक इसी प्रकार जीवन में सफलता प्राप्त करना भी आसान नहीं है लेकिन ऐसा भी नहीं हैं कि कोइ सफलता प्राप्त ही नहीं करता। सफलता वही प्राप्त करता हैं जो निश्चय करके निकलता हैं कि हर हाल में मुझे अपना लक्ष्य प्राप्त करना ही हैं। ऐसा नहीं हैं कि आप बिना संकल्प किए निकल गए और सफलता रास्ते में कही पड़ी हैं और आपको मिल गई।
आपको रास्ते में आने वाली हर बाधा से लड़ने की ताकत रखनी पड़ती हैं, हर चुनौतियों से लड़कर निरंतर आगे बढ़ते रहने की हिम्मत रखनी पड़ती हैं और समस्याओं के आगे समर्पण न कर देने का आत्मबल रखना पड़ता हैं। इतना करने के बावजूद भी आपको हर कोशिश में कामयाबी मिले इसकी गारंटी नहीं हैं। ये इतना सरल नहीं हैं कि आपने प्रयत्न किया और सफलता आपके हाथ लग गई। आपको निरंतर प्रयत्न करनी पड़ती है, लगातार उसी समर्पण भाव के साथ मेहनत करनी पड़ती हैं और सबसे बड़ी बात हैं कि सफलता की आखिरी सीढ़ी तक आपको धैर्य बनाये रखनी पड़ती हैं।
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कहते हैं न माली पेड़ को सौ घड़ी सिंचता हैं लेकिन फल तो ऋतू के आने पर ही आता हैं। तो क्या उसका इतने लम्बे समय तक पेड़ को सिंचना व्यर्थ हैं? जी नहीं! माली को भी पता हैं कि फल तो ऋतू आने पर ही आयेगा लेकिन वह पेड़ को तब तक सिर्फ इसलिए सिंचता हैं ताकि फल के अनुकूल समय आने तक पेड़ जीवित रहे, पेड़ सुख न जाये। ठीक ऐसे ही सफलता एक निश्चित समय पर ही मिलती हैं लेकिन तब तक आपको अपने सपनो को मेहनत और धैर्य से जीवित रखना पड़ता हैं। लेकिन ये सब इतना सहज नहीं हैं तभी तो सफलता की इच्छा तो हर व्यक्ति रखता हैं लेकिन इसे प्राप्त कोइ कोइ ही कर पाता हैं।
यहां पर ये सब बताकर आपके आत्मविश्वास को कमजोर नहीं किया जा रहा हैं बल्कि आपको सचेत किया जा रहा हैं जिससे की आप अपने आप को हमेशा तैयार रखे और विपरीत परिस्थितियों में भी कमजोर न पड़े। ये सही हैं की सफलता प्राप्त करने लिए के जोश का होना जरूरी हैं लेकिन जोश के साथ सही समझ का भी होना बहुत जरुरी हैं। जैसे गाड़ी में गति के लिए एक्सीलेटर का होना जितना जरुरी हैं उतना ही जरुरी दुर्घटना से बचाने के लिए ब्रेक का भी होना हैं।
पहली कोशिश में जीत मिले
केवल संजोग से होता हैं।
किन्तु ये जीत सदैव मिले
ये कर्म योग से होता हैं।
हुआ सफल कोइ एक ही बिरले
जो संजोग पे निर्भर थे।
सफल हुए हर एक खड़े जो
कर्म पे अपने डटकर थे।
ये केवल संजोग ही हैं कि किसी व्यक्ति को पहली ही कोशिश कामयाबी मिल जाये। ये केवल संजोग ही हैं और ऐसा हजारों में से किसी एक साथ ही होता हैं। किन्तु वो सफलता भी क्षणिक मात्र होती हैं और सीमित रह जाती हैं। लेकिन कामयाबी हमेशा ही मिले ये केवल फोकस के साथ कर्म करने पे होता हैं। क्योंकि हर सफलता कर्म के कुशलता से आती हैं और कर्म की कुशलता अनुभव से आता हैं और अनुभव निरंतर प्रयत्न से आता हैं और हर एक प्रयत्न में परिश्रम लगता हैं। तो कही न कही निरंतर सफलता सही दिशा में निरंतर कर्म और परिश्रम करने से ही मिलती हैं।
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बैठ किनारे सिंधु के जो
भाग्य पे अपने रोते हैं।
पास पड़े अनमोल रत्न
प्रयत्न बिना वो खोते हैं।
जब तक उतरे न पानी में।
तब तक ही भय सताता हैं।
जो उतर गए साहस करके
तो जीवन बन जाता हैं।
यह दुनिया सफलता और साधन से भरी हुई हैं। इस दुनिया की खूबसूरती यही हैं कि यहां आप जो चाहे वो कर सकते हैं, जो चाहे बन सकते हैं शर्त सिर्फ इतना हैं कि हर सफलता के लिए लिए एक निश्चित परिश्रम और प्रयत्न की जरुरत होती हैं। उस परिश्रम और प्रयत्न के रूप में आपको छोटी सी कीमत चुकानी पड़ती हैं। जो यह कीमत चुका देता हैं उसे जीत मिल जाती हैं लेकिन जो व्यक्ति परिश्रम और प्रयत्न करने के वजाय अपने भाग्य को दोष देकर रोता रहता हैं उसे कुछ प्राप्त नहीं होता। ये ठीक वैसे ही हैं जैसे सिन्धु में अनमोल रत्नो की भरमार हैं लेकिन जो व्यक्ति पानी में उतर कर इन्हे प्राप्त करने की कोशिश ही नहीं करते उन्हें कुछ नहीं मिलता। किन्तु जो निश्चय करके निकलते हैं कि मुझे हर हाल में मोती प्राप्त करना ही हैं और इसके लिए निरंतर प्रयत्न करते हैं वो एक दिन मुठ्ठी भर भर के मोती लाते हैं।
एक बात और पूरी तरह सत्य हैं की किसी भी काम का डर सिर्फ तभी तक लगता हैं जबतक वो काम किया नहीं जाता। एक बार हिम्मत करके काम शुरू कर देने पर डर खत्म हो जाता हैं और मस्तिष्क उस काम को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में व्यस्त हो जाता हैं। जैसे नेवी के ट्रेनिंग के दौरान सेलेक्ट हुए जवानों को कुछ ऊंचाई से पानी में कूदना पड़ता हैं लेकिन कुछ जवान कूदने से पहले बहुत डरे होते हैं। वो पानी में कूदना ही नहीं चाहते फिर उन्हें कुछ अन्य जवान जबरदस्ती पानी में धक्का देकर गिराते हैं और जैसे ही डरा हुआ जवान पानी में गिरता हैं उसका डर हमेशा के लिए खत्म हो जाता हैं।
उम्मीद करता हुँ कि इस कविता और ऊपर लिखें संक्षिप्त विवरण (लेख) को पढ़ने से आपको भी हार से हार न मानने की तथा अपने काम में प्रतिबद्धता से लगने की सच्ची प्रेरणा जरूर मिली होगी। ऐसे और भी प्रेरणादायक कविता पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट www.powerfulpoetries.com पे जा सकते हैं या ऊपर मेन्यु बार में Home पे क्लिक करके भी आप अन्य कविताएं पढ़ सकते हैं।
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