A Poem on Challenge
!!बनके तू तूफान चल!!
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Hindi Poem on Courage |
डर डर के यूँ चलेगा तो
हर कदम आजमायेगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
ये राह भले आसान नहीं
शोले यहां बरसते है।
पर इसी पर आगे चल
तू दिव्य ज्योत जलाएगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
जिन्दा है तो जिन्दगी के
लड़ते जा बाधाओं से।
संघर्षो से लड़ बैठा तो
जीतना सिख जायेगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
लगे यदि ठोकर तो सोच
ये बाधा भी पार किया।
खाकर ऐसे ही ठोकर
हर बाधा पार लगाएगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
हैं अगर दरिया ये जीवन
तो किनारे निश्चित हैं।
सोचते जो रह गया तो
पार नहीं कर पायेगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
मंजिल अब करीब तेरे
है फासले कुछ कदमों के।
रुक गया जो हारकर तो
सारी उम्र पछतायेगा
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
वक्त अगर आजमाता हैं
तो शौख से आजमाने दे।
वक्त यही तेरे एक दिन
कदमों में शिश झुकायेगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
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Hindi Poem on Challenges |
खुले अम्बर में पँख लगाकर
उड़ने दे अरमानों को।
हर सपना साकार होगा
जो आँखों में बसायेगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
एक नहीं, सौ बार नहीं
तू लाखो बार दोहराता जा।
लड़के अगर न जीत सका
तो डर के क्या पायेगा।
बनकर तू तूफान चल
कोई रोक नही पायेगा।
कविता का उद्देश्य एवं संक्षिप्त विवरण
डर डर के यूँ चलेगा तो
हर कदम आजमायेगा।
बनके तू तूफान चल
कोई रोक तुझे न पायेगा।
अक्सर आपने देखा होगा कि तूफान कभी किसी के रोके नहीं रुकता वो अपना रास्ता बनाते हुए निकल जाता हैं। उसके रास्ते में यदि कोई चट्टान हो तो वह रास्ता बदल लेता हैं और यदि हल्की वस्तु हो उसे उठाकर फेक देता हैं लेकिन रुकता नहीं हैं। लक्ष्य प्राप्ति के मामले में हमारा भी व्यक्तित्व ऐसा ही होना चाहिए तभी जाकर लक्ष्य की प्राप्ति होगी।
इंसान को डर क्यों लगता हैं?
डर का उपचार क्या हैं या डर को कैसे भगाये?
लड़ते जा बाधाओं से।
संघर्षो से लड़ बैठा तो
जीतना सिख जायेगा।
जीत कैसे मिलती हैं?
कोई योद्धा यदि किसी युद्ध में जितना चाहते हैं तो कैसे जीतेगा। सीधा जबाब हैं लड़कर। यदि लड़ ही नहीं सकता तो जीतेगा कैसे वो तो सामान्य स्थिति हो गई न कि न लड़ना हैं न जितना हैं। बात को थोड़ा ध्यान से समझिये कि विजेता बनने के लिए लड़ना ही पड़ता हैं। अब आप भी अपने आप को एक योद्धा मानिये हैं, जीवन को रणक्षेत्र और बाधाओं को शत्रु और फिर इसका निरिक्षण कीजिये कि आपके पाले में ज्यादे जीत हैं या हार हैं। गहराई से अध्यन करने पर ये पता चलता हैं कि लगभग 80 प्रतिशत लोग सामान्य स्थिती वाले ही मिलेंगे ' न लड़ना हैं जितना हैं' केवल 20 प्रतिशत ही विजेता मिलेंगे। किन्तु ऊपर लिखी पंक्ति का उदेश्य यही हैं कि जीवन में सामने आने वाली हर बाधाओं से आप लड़ते जाइये, जीतना तो आप सिख ही जायेंगे।
वक्त अगर आजमाता हैं
तो शौख से आजमाने दे।
वक्त यही तेरे एक दिन
कदमों में शिश झुकायेगा।
समय सब की परीक्षा लेता है।
समय हर किसी का परीक्षा लेता हैं। इसने तो देवताओं तक को नहीं छोड़ा हैं जो स्वयं कहते हैं कि मैं काल से भी परे हुँ उन्हें भी नहीं छोड़ा तो आप तो केवल इंसान हैं। इसलिए ये वक्त आपकी परीक्षा लेता हैं तो घबराइये मत क्योंकि बिना परीक्षा के कोई उत्तीर्ण नहीं होता इसे परीक्षा लेने दीजिये। आप तो केवल इस इन्तहान को पास कैसे करना हैं उसपे ध्यान लगाइये। और यदि पास हो गए तो यहीं वक्त आपके सामने शिश झुका के खड़ा होगा।
एक नहीं, सौ बार नहीं
तू लाखो बार दोहराता जा।
लड़के अगर न जीत सका
तो डर के भी क्या पायेगा।
लड़ना जरुरी हैं।
इस पंक्ति को जितनी बार हो सके उतनी बार दोहराये और अपने अवचेतन मन में बैठा ले कि यदि आप लड़के नहीं जीत सकते तो डर के क्या कर सकते हैं। लड़ने पर कम से कम उम्मीद तो हैं कि आप जीत सकते हैं लेकिन डरने पे क्या हैं। इसलिए जीवन के किसी भी परिस्थिति में डरना छोड़िये क्योंकि डरने वाले अच्छी और बुरी दोनों परिस्थितियों में केवल डरते और चिंतित रहते हैं परन्तु लड़ने वाले परिस्थिति बदल देते हैं।
उम्मीद करता हुँ कि इस कविता और ऊपर लिखें संक्षिप्त विवरण (लेख) को पढ़ने से आपको भी जीवन में बिना डर के ही आगे बढ़ने की सच्ची प्रेरणा जरूर मिली होगी। ऐसी और भी प्रेरणादायक कविता पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट www.powerfulpoetries.com पे जा सकते हैं या ऊपर मेन्यु बार में Home पे क्लिक करके भी आप अन्य कविताएं पढ़ सकते हैं।
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वाह,बहुत बढ़िया👌
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteमुझे अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर विजिट करके।