Inspirational Poems in Hindi
वही छोटा सा बीज हैं।
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Motivational Poem in Hindi |
सिद्द्त से इसे सींचा था
मुश्किलों से बचाया था।
वही छोटा सा बीज है जो
बरसों पहले लगाया था।
मन में रख विस्वास अटूट
मिट्टी के अंदर डाला था।
सींच सींच के शाम सबेरे
बाहर इसे निकाला था।
धैर्य की धरती में आखिर
जब छोटा अंकुर फूटा।
कर्मफल बाहर आते ही
मन मस्ती से झूम उठा।
देख स्वप्न बाहर आते
आँखों में पानी आया था।
वही छोटा सा बीज है जो
बरसों पहले लगाया था।
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इसकी नाजुक सी टहनी को
हवा झकझोर के जाती थी।
छोटे छोटे पत्तों पर
चिंटिया सम्भल न पाती थी।
सब कहते थे पागलपन हैं
जब इसे मैं सींचता था।
आज खड़ा जो सीना तान
पर मुझे यही दिखता था।
पतझड़ के तेज हवाओं में
कई बार मुरझाया था।
वही छोटा सा बीज है जो
बरसों पहले लगाया था।
अब तो तुफानो से भी
जरा नहीं हिल पाता हैं।
आज कई जीवों को अपने
छायें में सुलाता हैं।
सोच के अब इतराता हुँ
कि किस्मत वाली होएगी।
आने वाली पीढ़ीयाँ भी अब
इसके छायें में सोयेगी।
एक बार नहीं तुफानो से
कई बार टकराया था।
वही छोटा सा बीज है जो
बरसों पहले लगाया था।
बीज मेरे वो सपने थे
और मिट्टी था मेरा मन।
सफलता ये विशाल वृक्ष
जिसने बदला पूरा जीवन।
उस नन्हे से बीज ने आज
चमत्कार दिखलाया हैं।
एक छोटे संकल्प के कारण
हर तरफ अब छायाँ हैं।
तेज धूप बारिश ने जिसको
कई बार आजमाया था।
वही छोटा सा बीज है जो
बरसों पहले लगाया था।
कविता का उद्देश्य एवं संक्षिप्त विवरण
वही छोटा सा बीज है जो
बरसों पहले लगाया था।
हमारे सपने भी एक छोटे से बीज जैसे होते हैं जिन्हे सींचकर सहेजकर बड़ा किया जाता हैं। जैसे बीज को जमीन में डालने से अंकुर तो निकल ही आता हैं किन्तु उसे बड़ा करने के लिए उसकी सही देखभाल करनी पड़ती हैं। ठीक वैसे ही सफलता के सपने देखने से प्रारम्भ करने की साहस तो मिल जाता हैं लेकिन सफलता तक पहुंचने के लिए सपनो पर निरंतर काम करने की आवश्यता होती हैं।
इस कविता में एक व्यक्ति के सफलता को एक विशाल वृक्ष के रूप में दर्शाया गया हैं जिसे उसने बड़ी ही सिद्द्त से बीज के रूप में लगाकर, सींच-सींच कर बड़ा किया हैं। आज वही छोटा सा बीज विशाल वृक्ष बन गया हैं जो उसे फल और छाँव दे रहा हैं।
वह कहता हैं कि जब छोटे से पौधे को सींचता था, जब उसकी दिन रात देखभाल करता तब कई लोग इसे पागलपन कहते थे। सबको वो छोटा सा पौधा दिखता था किन्तु मुझे तो हरवक्त यहीं विशाल वृक्ष दिखता था जो आज सिना तान के खड़ा हैं।
ये सच हैं कि पागल और सफलता की चाह रखने वालों में ज्यादे फर्क नहीं होता। ये दोनों ही अपने अपने धून में मग्न रहते हैं और दुनिया की परवाह न करते हुए जो इनका अपना मार्ग हैं उसपे आगे बढ़ते रहते हैं। सही कहा जाय तो जो इंसान दुनिया की परवाह करके, लोगो की बातों को सुनकर और उन्हें मानकर आगे बढ़ता हैं वो कभी लक्ष्य तक पहुँच नहीं पाता। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपना रास्ता और अपनी धून होनी चाहिए।
दूसरी बात यह हैं जो आपका लक्ष्य हैं उसका सर्वश्रेष्ठ रूप हमेशा आपकी आँखों में होनी चाहिए। जब भी आप आँख बंद करें तो आपके लक्ष्य का विशाल रूप आपको नजर आने लगे। इसे ही Law of Attraction ( आकर्षण का नियम) कहा जाता हैं। ये आपके लक्ष्य को आपकी ओर खिंचकर लाता हैं। यदि आपका लक्ष्य एक सुन्दर और बड़ा घर लेने का हैं तो एक सुन्दर और बड़े घर की छवी हमेशा आपके दिमाग में रहनी चाहिए।
अब तुफानो के झोकों से
जरा तो हिल न पाता हैं।
आज कई जीवों को अपने
छायें में सुलाता हैं।
वो वृक्ष यानि उसकी सफलता इतना विशाल हो गया हैं जो अब किसी भी मुसीबत से हिलता और बिखरता नहीं हैं बल्कि अब सबको सहारा देता हैं। ऐसा ही होता हैं जब शुरुआती दौर के मुश्किलों को यदि पार कर लिया जाय तो आगे आपका लक्ष्य इतना दृढ़ हो जाता हैं कि वो किसी भी मुश्किल परिस्थिति में बिखरता नहीं बल्कि हर परिस्थिति में केवल लाभ ही देता हैं।
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एक बार नहीं तुफानो से
कई बार टकराया था।
समस्याएं तो आएँगी चाहे आप किसी भी पहलु से गुजरे और एक बार नहीं बार बार आएँगी। याद रखिये असफलता समस्याओं से नहीं आती बल्कि समस्याओ को स्वीकार कर लेने से आती हैं। यदि व्यक्ति समस्याओ से हारकर बैठ न जाये तो वो कभी भी हारा हुआ नहीं होता। आपको यह कविता हार कभी न होती हैं एक बार जरुर पढ़नी चाहिए इससे आपको जीवन में हार को स्वीकार न करने की बहोत प्रेरणा मिलेगी।
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